Ads for Indians

बुधवार, 1 अप्रैल 2009


जीवन की जदोजहद में


कहाँ जरूरत थी


'जय हो' गाने की


 रोटी की लडाई में


कहाँ फुर्सत थी

3 टिप्‍पणियां:

prabhakar ने कहा…

sach kaha.....roti me ladai me kahan fursat hai....kise fursat hai......

kuldeep thakur ने कहा…

सुंदर भाव... शब्दों में चमतकार है... धन्यवाद http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

Madan Mohan Saxena ने कहा…

शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन....बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति