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शुक्रवार, 26 मार्च 2010
दूरदर्शी
कई दिनों से मेरे कुछ दोस्त एक धंधा शुरू किया है . उन को लोग दूरदर्शी कहते है . उनकी द्रष्टी इतनी दूर तक देख सकती है कि वो आजकल जूतों का भंडारण कर रहे है . उनका तर्क है कि एक दिन सब लोग नेताओ को सामूहिक जूता मारेंगे और उस दिन जूतों कि कमी न पड़ जाये इसलिए यह काम कर रहे है जो एक समाजसेवा भी है. प्रधानमंत्री से लेकर पंच तक के लोक नेता को जूतों से नवाज़ने के लिए विभिन्न प्रकार के जूतों की कीमत का चार्ट बनाया है .
वीआइपी मूवमेंट
वीआइपी मूवमेंट
'मूवमेंट' शब्द का शाब्दिक अर्थ 'आन्दोलन' होता है मगर हर शब्द का अर्थ काल और परिस्थिति के अनुसार बदल जाता है. यहाँ पर मेरी समझदारी के अनुसार 'मूवमेंट' शब्द का अर्थ 'हलचल' हो सकता है. इसलिए 'वीआइपी मूवमेंट " का अर्थ है कि बहुत महत्वपूर्ण आदमी कि हलचल. ये बहुत ही महत्व के आदमी वो होतें हैं जिनका कद कुर्सी के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है. वैसे ये सजीव प्राणी होते हुए भी पॉँच साल तक कोई हलचल नहीं करते ये भी दुनिया का आठवां आश्चर्य है . यह इनका अप्राकृतिक गुण है जो प्रकृति विज्ञानं के सारे सिद्धांतों को तोड़ कर इनके शरीर में प्रवेश कर कर चूका है लेकिन सजीव प्राणी होने के नाते कभी कभी हलचल करके यह सिद्ध करना पङता है कि ये अभी जिंदा है. यह हलचल इस प्राणीजगत में प्रति पॉँच वर्षों के बाद एक विशेष परिस्थिति में होती है जो प्राकृतिक मौसम नहीं होता फिर भी इस प्राणी जगत कि पूरी प्रकृति बदल देता है.
उस मौसम को लोकतान्त्रिक विज्ञानं में 'चुनाव' कहतें है . इस चुनावी मौसम कि सुगबुगाहट शुरू होती है जिसे आप पुरे देश में और विशेषकर दिल्ली की सड़कों पर देख सकतें है.
'मूवमेंट' शब्द का शाब्दिक अर्थ 'आन्दोलन' होता है मगर हर शब्द का अर्थ काल और परिस्थिति के अनुसार बदल जाता है. यहाँ पर मेरी समझदारी के अनुसार 'मूवमेंट' शब्द का अर्थ 'हलचल' हो सकता है. इसलिए 'वीआइपी मूवमेंट " का अर्थ है कि बहुत महत्वपूर्ण आदमी कि हलचल. ये बहुत ही महत्व के आदमी वो होतें हैं जिनका कद कुर्सी के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है. वैसे ये सजीव प्राणी होते हुए भी पॉँच साल तक कोई हलचल नहीं करते ये भी दुनिया का आठवां आश्चर्य है . यह इनका अप्राकृतिक गुण है जो प्रकृति विज्ञानं के सारे सिद्धांतों को तोड़ कर इनके शरीर में प्रवेश कर कर चूका है लेकिन सजीव प्राणी होने के नाते कभी कभी हलचल करके यह सिद्ध करना पङता है कि ये अभी जिंदा है. यह हलचल इस प्राणीजगत में प्रति पॉँच वर्षों के बाद एक विशेष परिस्थिति में होती है जो प्राकृतिक मौसम नहीं होता फिर भी इस प्राणी जगत कि पूरी प्रकृति बदल देता है.
उस मौसम को लोकतान्त्रिक विज्ञानं में 'चुनाव' कहतें है . इस चुनावी मौसम कि सुगबुगाहट शुरू होती है जिसे आप पुरे देश में और विशेषकर दिल्ली की सड़कों पर देख सकतें है.
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