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शुक्रवार, 26 मार्च 2010

आँख के अंधे और चश्मे का रिश्ता बड़ा अजीब होतो है ! जब मेरे मास्टरजी को चश्मे के बिना चोर का मोर दिखाई देता है तब राजनीति में तो बिना चश्मे के लाकतंत्र को नोटतंत्र समझने वालों से तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होती !

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