राजस्थानी भाषा विश्वविख्यात है। इसका एक कारण इंटरनेट है, जहां राजस्थानी को हर किसी ने चाहा तथा सम्मान दिया है। सरकारी वेबसाइटों पर भी अब राजस्थानी देखने को मिल रही हैं। श्रीगंगानगर जिला इस पहल को शुरुआत करने वाला पहला जिला है। इस जिले की सरकारी वेबसाईट पर राजस्थानी को सबसे पहले शामिल किया गया है। इंटरनेट पर राजस्थानी को अपनी पहचान दिलाने के लिए ब्लॉग एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है, इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
राजस्थानी के ब्लॉग जो अभी तक सामने आएं हैं, उनमें राजस्थान की भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के साथ-साथ दूसरे विषयों की जानकारी भी देखने में आती हैं। इंटरनेट पर राजस्थानी की जो वेब-पत्रिकाएं सामने आई हैं, वे इस प्रकार हैं- सत्यनारायण सोनी और विनोद स्वामी संपादित 'आपणी भाषा-आपणी बात', राव गुमानसिंह राठौड़ का 'राजस्थानी ओळखांण', पतासी काकी का 'ठेठ देशी', नीरज दईया की मासिक वेब पत्रिका 'नेगचार', मायामृग का 'बोधि वृक्ष' आदि।
राजस्थानी के रचनाकारों के ब्लॉग में- ओम पुरोहित 'कागद', रामस्वरूप किसान का राजस्थानी कहानियों का ब्लॉग, दुलाराम सहारण का राजस्थानी की प्रकाशित पुस्तकों की सूची, संदीप मील का 'राजस्थानी हाईकू', राव गुमानसिंह राठौड़ के 'राजिया रा दूहा', 'सुणतर संदेश', डॉ. सत्यनारायण सोनी की राजस्थानी कहानियां, शिवराज भारतीय का 'ओळूं', संग्राम सिंह राठौड़ का 'स्व. चंद्रसिंह बिरकाळी री रचनावां', डॉ. मदनगोपाल लढ़ा का 'मनवार', पूर्ण शर्मा 'पूरण' का 'मायड़ भाषा', डॉ. मंगत बादल, जितेन्द्र कुमार सोनी 'प्रयास' का 'मुळकती माटी', राजूराम बिजारणियां, कवि अमृतवाणी का 'राजस्थानी कविता कोश', नीरज दईया के 'सांवर दईया', 'राजस्थानी ब्लॉगर', डॉ. दुष्यंत का 'रेतराग', रवि पुरोहित का 'राजस्थली', दीनदयाल शर्मा का 'टाबर टोळी', 'गट्टा रोळी', राजेन्द्र स्वर्णकार का 'शस्वरं', अंकिता पुरोहित का 'कागदांश', किरण राजपुरोहित 'नितिला', संतोष पारीक का 'सांडवा', अजय कुमार सोनी का 'भटनेर' आदि।
इंटरनेट पर राजस्थानी की मूल रचनाएं तथा अनूदित रचनाएं बहुत सी पत्रिकाओं में निरंतर छपती रहती हैं। जिनमें- 'हिन्दी कविता कोश', नरेश व्यास का 'आखर कलश', प्रेमचंद गांधी का 'प्रेम का दरिया', रविशंकर श्रीवास्तव का 'रचनाकार'।
राजस्थानी भाषा की मान्यता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के ब्लॉग भी हैं। जिनमें- कुंवर हनवंतसिंह राजपुरोहित के 'मरुवाणी', 'म्हारो मरूधर देश', विनोद सारस्वत का 'मायड़ रो हेलो', सागरचंद नाहर का 'राजस्थली', अजय कुमार सोनी के 'मायड़ रा लाल', 'राजस्थानी रांधण', राजस्थानी का 'राजस्थानी वातां' ब्लॉग, राजस्थानी गीत गायक प्रकाश गांधी और जितेन्द्र कुमार सोनी के भी राजस्थानी ब्लॉग हैं।
इंटरनेट पर कई गांवों के भी ब्लॉग हैं जो राजस्थानी में हैं- 'आपणो गांव परळीको'। 'मेरा गांव भगतपुरा' की माध्यम भाषा तो हिन्दी है, परन्तु राजस्थानी चित्र, ऑडिया-वीडियो भी हैं। अब तो अत्यंत खुशी की बात है कि जल्द ही ऑनलाईन राजस्थानी टेलिविजन और रेडियो खुलने वाले हैं। जिन पर राजस्थानी में ही प्रसारण किया जाएगा। जिसकी पंहुच प्रवासी राजस्थानियों तक भी होगी। ऑनलाईन राजस्थानी टेलिविजन बतौर प्रयोग शुरू कर दिया गया है, जिसमें अभी रोजाना राजस्थानी गीत लगाए जाते हैं। इसका नाम अभी 'मरुवाणी' रखा गया है और इसके सूत्रधार कुंवर हनवंतसिंह राजपुरोहित हैं जो लंदन में अपना कारोबार करते हैं।
केन्द्र सरकार की उदासीनता के चलते राजस्थानी की मान्यता का सवाल अधरझूल में पड़ा है। इन उपलब्धियों को देखते हुए केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह राजस्थानी भाषा को तत्काल संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करे।
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अजय कुमार सोनी 'मोट्यार', परलीका