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शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

राजस्थान के दो पहलु

राजस्थान के गुण गाने वालों के कंठों में खरखराहट भी नही होती क्योंकि उन्हें सिर्फ़ राजा महाराजो का राजस्थान दिखाई देता है। उन्हें वो राज्य नहीं दिखता जो खुले आसमान के निचे रहता है और बच्चपन जानवरों की गंदगी में बिताता है , ना उन्हें माँ का प्यार मिलता है क्योंकि माँ का प्यार तो ठाकुर के खेतों में काम करते करते सूख गया है और ना हि बाप की सीख।
ज़िन्दगी चाहे गदागर हि बना दे ।
ऐ माँ तू मेरा नाम सिकंदर रख दे ॥

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